yajurveda/11/41
ऋषिः - विश्वमना ऋषिः
देवता - अग्निर्देवता
छन्दः - भुरिगनुष्टुप्
स्वरः - गान्धारः
उत्। ऊँ॒ इत्यूँ॑। ति॒ष्ठ॒। स्व॒ध्व॒रेति॑ सुऽअध्वर। अव॑। नः॒। दे॒व्या। धि॒या। दृ॒शे। च॒। भा॒सा। बृ॒ह॒ता। सु॒शु॒क्वनि॒रिति॑ सुऽशु॒क्वनिः॑। आ। अ॒ग्ने॒। या॒हि॒। सु॒श॒स्तिभि॒रिति॑ सुश॒स्तिऽभिः॑ ॥४१ ॥
उत्। ऊँ इत्यूँ। तिष्ठ। स्वध्वरेति सुऽअध्वर। अव। नः। देव्या। धिया। दृशे। च। भासा। बृहता। सुशुक्वनिरिति सुऽशुक्वनिः। आ। अग्ने। याहि। सुशस्तिभिरिति सुशस्तिऽभिः ॥४१ ॥