yajurveda/10/25
ऋषिः - वामदेव ऋषिः
देवता - आसन्दी राजपह्णी देवता
छन्दः - आर्षी जगती
स्वरः - निषादः
इय॑त्। अ॒सि॒। आयुः॑। अ॒सि॒। आयुः॑। मयि॑। धे॒हि॒। युङ्। अ॒सि॒। वर्चः॑। अ॒सि॒। वर्चः॑। मयि॑। धे॒हि॒। ऊर्क्। अ॒सि॒। ऊर्ज॑म्। मयि॑। धे॒हि॒। इन्द्र॑स्य। वा॑म्। वी॒र्य॒कृत॒ इति वीर्य॒ऽकृतः॑। बा॒हू इति॑ बा॒हू। अ॒भ्यु॒पाव॑हरा॒मीत्य॑भिऽ उ॒पाव॑हरामि ॥२५॥
इयत्। असि। आयुः। असि। आयुः। मयि। धेहि। युङ्। असि। वर्चः। असि। वर्चः। मयि। धेहि। ऊर्क्। असि। ऊर्जम्। मयि। धेहि। इन्द्रस्य। वाम्। वीर्यकृत इति वीर्यऽकृतः। बाहू इति बाहू। अभ्युपावहरामीत्यभिऽ उपावहरामि ॥२५॥