yajurveda/1/5
ऋषिः - परमेष्ठी प्रजापतिर्ऋषिः
देवता - अग्निर्देवता
छन्दः - आर्ची त्रिष्टुप्
स्वरः - धैवतः
अग्ने॑। व्र॒त॒प॒त॒ इति॑ व्रतऽपते। व्र॒तं। च॒रि॒ष्या॒मि॒। तत्। श॒के॒यं॒। तत्। मे॒। रा॒ध्यता॒म्। इ॒दं। अ॒हं। अनृ॑तात्। स॒त्यं। उप॑ ए॒मि॒ ॥५॥
अग्ने। व्रतपत इति व्रतऽपते। व्रतं। चरिष्यामि। तत्। शकेयं। तत्। मे। राध्यताम्। इदं। अहं। अनृतात्। सत्यं। उप एमि ॥५॥