yajurveda/1/27
ऋषिः - परमेष्ठी प्रजापतिर्ऋषिः
देवता - यज्ञो देवता
छन्दः - ब्राह्मी त्रिष्टुप्,
स्वरः - धैवतः
गा॒य॒त्रेण॑। त्वा॒। छन्द॑सा। परि॑। गृ॒ह्णा॒मि॒। त्रैष्टु॑भेन। त्रैस्तु॑भे॒नेति॒ त्रैस्तु॑भेन। त्वा॒। छन्द॑सा। परि॑। गृ॒ह्णा॒मि॒। जाग॑तेन। त्वा॒। छन्द॑सा। परि॑। गृ॒ह्णा॒मि॒। सु॒क्ष्मा। च॒। असि॑। शि॒वा। च॒। अ॒सि॒। स्यो॒ना। च॒। असि॑। सु॒षदा॑। सु॒सदेति॑ सु॒ऽसदा॑। च॒। अ॒सि॒। ऊर्ज॑स्वती। च॒। असि॑। पय॑स्वती। च॒ ॥२७॥
गायत्रेण। त्वा। छन्दसा। परि। गृह्णामि। त्रैष्टुभेन। त्रैस्तुभेनेति त्रैस्तुभेन। त्वा। छन्दसा। परि। गृह्णामि। जागतेन। त्वा। छन्दसा। परि। गृह्णामि। सुक्ष्मा। च। असि। शिवा। च। असि। स्योना। च। असि। सुषदा। सुसदेति सुऽसदा। च। असि। ऊर्जस्वती। च। असि। पयस्वती। च ॥२७॥