atharvaveda/19/8/4

अ॑नुह॒वं प॑रिह॒वं प॑रिवा॒दं प॑रिक्ष॒वम्। सर्वै॑र्मे रिक्तकु॒म्भान्परा॒ तान्त्सवि॑तः सुव ॥

अ॒नु॒ऽह॒वम्। प॒रि॒ऽह॒वम्। प॒रि॒ऽवा॒दम्। प॒रि॒ऽक्ष॒वम्। सर्वैः॑। मे॒। रि॒क्त॒ऽकु॒म्भान्। परा॑। तान्। स॒वि॒तः॒। सु॒व॒ ॥८.४॥

ऋषिः - गार्ग्यः

देवता - नक्षत्राणि

छन्दः - अनुष्टुप्

स्वरः - नक्षत्र सूक्त

स्वर सहित मन्त्र

अ॑नुह॒वं प॑रिह॒वं प॑रिवा॒दं प॑रिक्ष॒वम्। सर्वै॑र्मे रिक्तकु॒म्भान्परा॒ तान्त्सवि॑तः सुव ॥

स्वर सहित पद पाठ

अ॒नु॒ऽह॒वम्। प॒रि॒ऽह॒वम्। प॒रि॒ऽवा॒दम्। प॒रि॒ऽक्ष॒वम्। सर्वैः॑। मे॒। रि॒क्त॒ऽकु॒म्भान्। परा॑। तान्। स॒वि॒तः॒। सु॒व॒ ॥८.४॥


स्वर रहित मन्त्र

अनुहवं परिहवं परिवादं परिक्षवम्। सर्वैर्मे रिक्तकुम्भान्परा तान्त्सवितः सुव ॥


स्वर रहित पद पाठ

अनुऽहवम्। परिऽहवम्। परिऽवादम्। परिऽक्षवम्। सर्वैः। मे। रिक्तऽकुम्भान्। परा। तान्। सवितः। सुव ॥८.४॥