atharvaveda/19/48/5
ऋषिः - गोपथः
देवता - रात्रिः
छन्दः - पथ्यापङ्क्तिः
स्वरः - रात्रि सूक्त
ये। रात्रि॑म्। अ॒नु॒ऽतिष्ठ॑न्ति। ये। च॒। भू॒तेषु॑। जाग्र॑ति। प॒शून्। ये। सर्वा॑न्। रक्ष॑न्ति। ते। नः॒। आ॒त्मऽसु॑। जा॒ग्र॒ति॒। ते। नः॒। प॒शुषु॑। जा॒ग्र॒ति॒ ॥४८.५॥
ये। रात्रिम्। अनुऽतिष्ठन्ति। ये। च। भूतेषु। जाग्रति। पशून्। ये। सर्वान्। रक्षन्ति। ते। नः। आत्मऽसु। जाग्रति। ते। नः। पशुषु। जाग्रति ॥४८.५॥