atharvaveda/19/30/2

श॒तं ते॑ दर्भ॒ वर्मा॑णि स॒हस्रं॑ वी॒र्याणि ते। तम॒स्मै विश्वे॒ त्वां दे॑वा ज॒रसे॒ भर्त॒वा अ॑दुः ॥

श॒तम्। ते॒। द॒र्भ॒। वर्मा॑णि। स॒हस्र॑म्। वी॒र्या᳡णि। ते॒। तम्। अ॒स्मै। विश्वे॑। त्वाम्। दे॒वाः। ज॒रसे॑। भर्त॒वै। अ॒दुः॒ ॥३०.२॥

ऋषिः - ब्रह्मा

देवता - दर्भमणिः

छन्दः - अनुष्टुप्

स्वरः - दर्भमणि सूक्त

स्वर सहित मन्त्र

श॒तं ते॑ दर्भ॒ वर्मा॑णि स॒हस्रं॑ वी॒र्याणि ते। तम॒स्मै विश्वे॒ त्वां दे॑वा ज॒रसे॒ भर्त॒वा अ॑दुः ॥

स्वर सहित पद पाठ

श॒तम्। ते॒। द॒र्भ॒। वर्मा॑णि। स॒हस्र॑म्। वी॒र्या᳡णि। ते॒। तम्। अ॒स्मै। विश्वे॑। त्वाम्। दे॒वाः। ज॒रसे॑। भर्त॒वै। अ॒दुः॒ ॥३०.२॥


स्वर रहित मन्त्र

शतं ते दर्भ वर्माणि सहस्रं वीर्याणि ते। तमस्मै विश्वे त्वां देवा जरसे भर्तवा अदुः ॥


स्वर रहित पद पाठ

शतम्। ते। दर्भ। वर्माणि। सहस्रम्। वीर्या᳡णि। ते। तम्। अस्मै। विश्वे। त्वाम्। देवाः। जरसे। भर्तवै। अदुः ॥३०.२॥