atharvaveda/19/26/3

आयु॑षे त्वा॒ वर्च॑से॒ त्वौज॑से च॒ बला॑य च। यथा॑ हिरण्य॒तेज॑सा वि॒भासा॑सि॒ जनाँ॒ अनु॑ ॥

आयु॑षे। त्वा॒। वर्च॑सा। त्वा॒। ओज॑से। च॒। बला॑य। च॒। यथा॑। हि॒र॒ण्य॒ऽतेज॑सा। वि॒ऽभासा॑सि। जना॑न्। अनु॑ ॥२६.३॥

ऋषिः - अथर्वा

देवता - अग्निः, हिरण्यम्

छन्दः - अनुष्टुप्

स्वरः - हिरण्यधारण सूक्त

स्वर सहित मन्त्र

आयु॑षे त्वा॒ वर्च॑से॒ त्वौज॑से च॒ बला॑य च। यथा॑ हिरण्य॒तेज॑सा वि॒भासा॑सि॒ जनाँ॒ अनु॑ ॥

स्वर सहित पद पाठ

आयु॑षे। त्वा॒। वर्च॑सा। त्वा॒। ओज॑से। च॒। बला॑य। च॒। यथा॑। हि॒र॒ण्य॒ऽतेज॑सा। वि॒ऽभासा॑सि। जना॑न्। अनु॑ ॥२६.३॥


स्वर रहित मन्त्र

आयुषे त्वा वर्चसे त्वौजसे च बलाय च। यथा हिरण्यतेजसा विभासासि जनाँ अनु ॥


स्वर रहित पद पाठ

आयुषे। त्वा। वर्चसा। त्वा। ओजसे। च। बलाय। च। यथा। हिरण्यऽतेजसा। विऽभासासि। जनान्। अनु ॥२६.३॥