atharvaveda/19/11/6

तद॑स्तु मित्रावरुणा॒ तद॑ग्ने॒ शं योर॒स्मभ्य॑मि॒दम॑स्तु श॒स्तम्। अ॑शी॒महि॑ गा॒धमु॒त प्र॑ति॒ष्ठां नमो॑ दि॒वे बृ॑ह॒ते साद॑नाय ॥

तत्। अ॒स्तु॒। मि॒त्रा॒व॒रु॒णा॒। तत्। अ॒ग्ने॒। शम्। योः। अ॒स्मभ्य॑म्। इ॒दम्। अ॒स्तु॒। श॒स्तम्। अ॒शी॒महि॑। गा॒धम्। उ॒त। प्र॒ति॒ऽस्थाम्। नमः॑। दि॒वे। बृ॒ह॒ते। सद॑नाय ॥११.६॥

ऋषिः - ब्रह्मा

देवता - मन्त्रोक्ताः

छन्दः - त्रिष्टुप्

स्वरः - शान्ति सूक्त

स्वर सहित मन्त्र

तद॑स्तु मित्रावरुणा॒ तद॑ग्ने॒ शं योर॒स्मभ्य॑मि॒दम॑स्तु श॒स्तम्। अ॑शी॒महि॑ गा॒धमु॒त प्र॑ति॒ष्ठां नमो॑ दि॒वे बृ॑ह॒ते साद॑नाय ॥

स्वर सहित पद पाठ

तत्। अ॒स्तु॒। मि॒त्रा॒व॒रु॒णा॒। तत्। अ॒ग्ने॒। शम्। योः। अ॒स्मभ्य॑म्। इ॒दम्। अ॒स्तु॒। श॒स्तम्। अ॒शी॒महि॑। गा॒धम्। उ॒त। प्र॒ति॒ऽस्थाम्। नमः॑। दि॒वे। बृ॒ह॒ते। सद॑नाय ॥११.६॥


स्वर रहित मन्त्र

तदस्तु मित्रावरुणा तदग्ने शं योरस्मभ्यमिदमस्तु शस्तम्। अशीमहि गाधमुत प्रतिष्ठां नमो दिवे बृहते सादनाय ॥


स्वर रहित पद पाठ

तत्। अस्तु। मित्रावरुणा। तत्। अग्ने। शम्। योः। अस्मभ्यम्। इदम्। अस्तु। शस्तम्। अशीमहि। गाधम्। उत। प्रतिऽस्थाम्। नमः। दिवे। बृहते। सदनाय ॥११.६॥